गंगाशहर सेटेलाइट अस्पताल में रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाएं 8 दिन से ठप पड़ी हैं। इससे क्षेत्र में लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। देर रात उन्हें पीबीएम हॉस्पिटल आना पड़ता है। गंगाशहर सेटेलाइट अस्पताल से जूनियर रेजिडेंट हटाने के बाद रात्रिकालीन इमरजेंसी सेवाएं बंद हो गई हैं। रविवार की रात एक महिला अपनी बेटी को लेकर अस्पताल गई तो गेट पर ताला मिला।
महिला ने बताया कि उसकी बेटी के तकलीफ है। इतनी रात को टैक्सी करके पीबीएम जाना होगा। अकेले कैसे जाएं। हालांकि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्हें पीबीएम पहुंचा दिया, लेकिन गंगाशहर अस्पताल के ऐसे हालात पिछले आठ दिन से हैं। मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल ने पांच डॉक्टरों को वहां भेजने के आदेश किए, जिनमें से मेडिसिन और सर्जरी से एक-एक डॉक्टर ने ही जॉइन किया। तीन आए ही नहीं। जो डॉक्टर आएं हैं वे रात को ड्यूटी नहीं कर रहे। उन्हें भी वापस पीबीएम बुलाने के लिए संबंधित विभाग दबाव बनाए हुए है। गंगाशहर सेटेलाइट अस्पताल में दस का स्टाफ है।
शिशु रोग विशेषज्ञ, टीबी एवं चेस्ट, नेत्र रोग और प्रसूति रोग विशेषज्ञ के अलावा पैथोलाजिस्ट और सोनोलॉजिस्ट भी हैं। इनमें कुछ पद विरुद्ध लगे हुए हैं। रोज औसत 650 मरीजों का आउटडोर रहता है। अस्पताल प्रभारी डॉ. मुकेश वाल्मीकी का कहना है कि इनमें से किसी डॉक्टर की रात में ड्यूटी लगा दें तो दिन में ओपीडी प्रभावित होती है। कोरोना काल में पांच जूनियर रेजिडेंट मिले थे। उनका कार्यकाल पूरा होने पर हटा दिए गए। अतिरिक्त डॉक्टरों के अभाव में रात्रिकालीन सेवाएं नहीं चला पा रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता हेमंत कतेला का कहना है कि गंगाशहर उपनगर की आबादी डेढ़ लाख से अधिक है। पीबीएम हॉस्पिटल वहां से 10-12 किलोमीटर दूर पड़ता है। रात के समय खासकर महिलाओं को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। सेटेलाइट अस्पताल में डॉक्टरों की अतिरिक्त व्यवस्था करनी चाहिए। दूसरी तरफ जिला अस्पताल में भी पिछले दिनों पांच डॉक्टरों को पीबीएम से भेजने के आदेश प्रिंसिपल ने किए थे। उनमें से तीन ने ही जॉइन किया। इनमें भी दो डॉक्टर पीबीएम में डेपुटेशन पर थे, जिन्हें वापस भेजा गया है। दो अब तक नहीं आए।
