हरियाणा।हरियाणा विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत की हैट्रिक के बाद अब नई सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि हरियाणा में भी पार्टी मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, ओडिशा की तरह दो डिप्टी CM का फॉर्मूला ला सकती है। वरिष्ठता के आधार पर पूर्व गृह मंत्री अनिल विज और एक ब्राह्मण विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
भाजपा विधायक दल की बैठक गुरुवार को होगी। इसमें विधायक दल का नेता नायब सिंह सैनी को चुना जाना तय है। इसके लिए नायब सैनी दिल्ली भी गए।
उधर, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल खट्टर के दिल्ली निवास पर राज्य के चुनाव प्रभारी केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और सह प्रभारी बिप्लव देब ने रणनीति तैयार की है। इस बैठक में मंत्रियों के नामों सहित अन्य मामलों पर चर्चा की गई।
भाजपा लाना चाहती है डिप्टी CM फॉर्मूला हरियाणा में BJP नई सरकार में डिप्टी CM फॉर्मूले को लाना चाहती है। इसकी सबसे बड़ी वजह सरकार में सीनियॉरिटी को लेकर होने वाला विवाद है। अभी अनिल विज नई सरकार में सबसे सीनियर नेता हैं। इसके अलावा वह CM बनने का दावा भी ठोंक चुके हैं।
ऐसे में पार्टी उन्हें मैनेज करने के लिए डिप्टी CM बना सकती है। इनके अलावा एक ब्राह्मण विधायक को उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।
नए चेहरों को मिल सकता है मंत्रिमंडल में मौका नई सरकार में भाजपा के नए चेहरे शामिल हो सकते हैं। पुराने चेहरों में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, मूलचंद शर्मा और महिपाल ढांडा का नाम तो लगभग तय है।
वहीं, नए चेहरों में जातीय और क्षेत्रीय तौर पर फरीदाबाद से विपुल गोयल, भिवानी से घनश्याम सर्राफ, बादशाहपुर से राव नरवीर, इसराना से कृष्ण लाल पंवार, नरवाना से कृष्ण कुमार बेदी, राई से कृष्णा गहलावत, जींद से डॉ. कृष्ण मिड्डा, गोहाना से डॉ. अरविंद शर्मा और यमुनानगर से घनश्याम अरोड़ा का नाम चर्चा में है।
इसके अलावा करनाल के घरौंडा से विधायक हरविंदर कल्याण को विधानसभा स्पीकर बनाए जाने की चर्चा है। वहीं, पूर्व डिप्टी स्पीकर रणवीर गंगवा को भी अहम जिम्मेदारी मिल सकती है।
भाजपा हरियाणा में लगातार तीसरी बार सरकार बनाने जा रही है। भाजपा को कुल मतदाताओं में से 39.94% और कांग्रेस को 39.09% ने वोट दिए। कांग्रेस की ओर से लगातार पीटे जा रहे एंटी इनकम्बेंसी के ढोल और जाट बिरादरी के गुस्से के बीच BJP के रणनीतिकार चुपचाप राज्य के 2 करोड़ से ज्यादा वोटरों को साधने के लिए रणनीति बनाते रहे। इसकी बानगी पार्टी के संकल्प-पत्र में मिल गई थी। भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में अलग-अलग वर्गों के लिए 20 वादे किए। करीब 10 वादे गेम चेंजर साबित हुए।
