प्रसूता ने बेटी को जन्म दिया। नर्स ने उसकी सास को बताया और बधाई देते हुए 1100 रुपए की डिमांड कर डाली। यह सुनकर सास हक्की-बक्की रह गईं। लेबर रूम के बाहर खड़े बेटे से कहा तो उसने 500 रुपए का नोट दिया। महिला ने वह रुपए नर्स को देकर कहा कि खुशी से दे रहे हैं रख लो। यह देख नर्स बिगड़ गई। कहा, बच्चा चाहिए तो 1100 रुपए लेकर आ जाओ। महिला ने कहा कि उसका बेटा एंबुलेंस चलाकर पूरे दिन में सात-आठ सौ रुपए कमाता है।
पांच सौ खुशी से दे रहे हैं। इस पर नर्स नाराज हो गई। महिला को तुनक कर कहा- बेटे को मनाओ, समझाओ। 1100 रुपए देने ही होंगे। महिला आधे घंटे तक कभी नर्स तो कभी बेटे के चक्कर लगाती रही। परेशान होकर उन्होंने नर्स को एक हजार रुपए दिए। उसके बाद उसने बच्चा सौंपा। इस दौरान प्रसूता एकटक यह माजरा देखती रही। प्रसव पीड़ा से निकली थी। बेटी का मुंह तक नहीं देख पाई थी कि नर्स ने पैसे मांग लिए।
यह घटना संभाग के सबसे बड़े पीबीएम हॉस्पिटल की जनाना विंग में लेबर रूम की है। इंद्रा कॉलोनी निवासी जयप्रकाश टाक एंबुलेंस चलाकर परिवार का गुजारा करता है। उसकी पत्नी जयश्री के लेबर पेन होने के कारण रविवार शाम को हॉस्पिटल लेकर आया था। जयप्रकाश ने बताया कि पीबीएम अधीक्षक और मैटर्न ऑफिस के रजिस्टर में भी नर्स शिखा के विरुद्ध शिकायत दर्ज की है। जयप्रकाश का कहना है कि वह पीबीएम में ही एंबुलेंस चलाता है। जनाना विंग का ढर्रा बुरी तरह बिगड़ा हुआ है। बच्चे के जन्म पर बधाई मांगना रिवाज बन गया है। प्रशासन आंखें बंद किए हुए है। उधर मैटर्न किस्तूरी नूनिया का कहना है कि नर्स को लेबर रूम से हटा दिया गया है।
अव्यवस्था: 2 बजे बाद नहीं होती सोनोग्राफी
जनाना अस्पताल में दो बजे बाद सोनोग्राफी की सुविधा नहीं है। भास्कर टीम 2.10 बजे वहां पहुंची तो एक प्रसूता अपने परिजनों के साथ पैदल ही मरदाना कैंपस में सोनोग्राफी के लिए जा रही थी। परिजनों ने बताया कि ट्रॉली या व्हील चेयर तक नहीं है। जनाना में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ भी महिलाएं ही हैं। प्रसव पीड़ा में महिला कैसे पैदल चलकर जा सकती है, इसकी अनुभूति तो उन्हें भी रही होगी। व्यवस्थाएं खराब हैं। बड़ा अस्पताल यही है इसलिए आना मजबूरी है।
पैसे को लेकर पूर्व में दो नर्सों को हटाया था
आम तौर पर वहां संविदा पर काम करने वाली सफाई कर्मचारी महिलाएं बधाई लेती हैं। प्रसूता के परिजन 100-50 रुपए देते भी हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से नर्सिंग स्टाफ भी रुपए मांगने लगा है। इसे लेकर यह दूसरी बार शिकायत हुई है। पूर्व में जिसमें दो नर्सों को हटा दिया गया था। उनके स्थान पर शिखा और एक अन्य नर्स को लगाया गया। इनके विरुद्ध भी वही शिकायतें आने लगी हैं।
कुछ नर्सिंग स्टाफ तीन-तीन साल से लेबर रूम में ही कार्यरत हैं, जबकि हर छह महीने में उनका रोस्टर बदलने के आदेश एचओडी ने दे रखे हैं। हमने जनाना की एचओडी डॉ. संतोष खजोटिया से बात की तो उन्होंने घटना से ही अनभिज्ञता जाहिर कर दी, जबकि पूरे अस्पताल में इसके चर्चे हैं। सुरक्षा गार्डों तक को हालात पता है। मैटर्न ने भी इसकी पुष्टि की है। दरअसल डॉक्टर्स इस झंझट में नहीं पड़ना चाहते। क्योंकि जिस नर्स को हटाया जाता है वह राजनीतिक एप्रोच लगाकर वापस आ जाती है।
