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चकगर्बी मामला: सरकारी ज़मीनों पर काटी कॉलोनियां,अब आशियाने नहीं टूटेगें,भू-माफियाओं से हो सकती है रिकवरी

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बीकानेर। बीकानेर के भू-माफियाओं ने एक बार फिर गरीब व भोली-भाली जनता को खतरे में डाल दिया। मामला चकगर्बी का है, जहां बीडीए घर तोड़ने व अतिक्रमण हटाने पहुंच गया। मामला गरमाया, चकगर्बी के रहवासी लामबंद हुए। देखते ही देखते कांग्रेस बीजेपी के कुछ नेता भी आंदोलन से जुड़ गए। सोमवार को कलेक्ट्रेट परिसर में भारी जमावड़ा लगा, विरोध हुआ, नारेबाजी हुई। आखिर देर शाम कलेक्टर सभागार में प्रतिनिधि मण्डल व प्रशासन के बीच वार्ता हुई।

जिला कलेक्टर नम्रता वृष्णि, एडीएम सिटी रमेश देव व तहसीलदार बीकानेर राजकुमारी विश्नोई ने संघर्ष समिति से वार्ता की। वार्ता में कांग्रेस नेता मदन गोपाल मेघवाल, यशपाल गहलोत, रामनिवास कुकणा,भंवर कुकणा, बिशनाराम सियाग, सुभाष स्वामी, प्रफुल्ल हटीला, बीजेपी नेता सुरेंद्र सिंह शेखावत, अशोक भाटी, कुंदन सिंह राठौड़, पुनीत ढ़ाल, कन्हैया लाल कड़ेला शामिल थे। वहीं संघर्ष समिति के राजाराम धानका, संदीप चौधरी, राधेश्याम धायल, फरमान कोहरी, नारायण सिंह शेखावत, विजय सिंह राठौड़, कर्णपाल सिंह, रफीक गीगासर आदि शामिल थे।

संघर्ष समिति ने सात सूत्री मांगे रखी थी। जिला प्रशासन ने आशियाने ना तोड़ने का आश्वासन दिया है। 

एडीएम रमेश देव ने कहा कि जल्द ही ड्रोन से मैपिंग होगी। अनुमान है कि करीब 400 बीघा सरकारी जमीन पर भू-माफियाओं ने अवैध कॉलोनियां काटी है। इस मामले की गहन जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।

-ये है पूरा मामला: दरअसल, चकगर्बी क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में सौ से अधिक कॉलोनियां काटी गई। यह कॉलोनियां निजी जमीनों के साथ साथ सरकारी ज़मीनों पर भी काट दी गई। सूत्रों के मुताबिक कोरोना से पहले ही यह काम हो गया। भू-माफियाओं ने अपनी जमीनों के साथ साथ सरकारी ज़मीनों पर भी प्लॉट काट दिए। कागज कहीं के थे और कब्जे कहीं और दिए गए। भोली जनता इन भू-माफियाओं के झांसे में आकर प्लॉट खरीद बैठी।‌ बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर भी बना लिए। 

बताया जा रहा कि कोरोना के पहले व शुरुआती दिनों में भी एकबारगी इस मामले में भारी हलचल हुई थी, लेकिन बाद में हलचल अचानक ही थम गई। हलचल थमने का कारण रहस्य है। 

इसी दो साल पहले चकगर्बी का मामला फिर गरमाया। इस बार भी भारी हलचल हुई। फिर तत्कालीन संभागीय आयुक्त नीरज के. पवन ने एक्शन भी लिया। अब इसी मामले में बीडीए एक्शन में आया, लेकिन देखते ही देखते मामले का राजनीतिकरण हो गया और एक बार फिर प्रशासन को थमना पड़ गया।

होना यह चाहिए: दरअसल, चकगर्बी के मामले ने प्रशासन की भयंकर किरकिरी करवाई है। प्रशासन की चुप्पी से पहले ही भू-माफियाओं के हौसले बढ़ चुके थे, अब फिर से भू-माफियाओं की गलतफहमियां बढ़ेंगी।

प्रशासन को भोली भाली जनता के आशियाने तोड़ने की बजाय, उन भू-माफियाओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने भोली भाली जनता के साथ चार सौ बीसी की है। बताया जा रहा है कि संभागीय आयुक्त कार्यालय के पास ऐसे सौ भू-माफियाओं की सूची थी, जिन्होंने सरकारी ज़मीनों पर भी प्लॉट काटकर बेच डाले। प्रशासन को इन भू-माफियाओं के खिलाफ (वसूली) रिकवरी निकालनी चाहिए। सरकार को हुई राजस्व की हानि सहित आम जनता को मूर्ख बनाने का दंड तो उन्हें मिलना चाहिए।

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