बीकानेर। शहर के कोतवाली इलाके में बुधवार को हुए दुखदायी हादसे के लिये अगर बीकानेर के सिस्टम को जिम्मेदार ठहराया जाये,तो इसमें कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। जानकारी में रहे कि मैंने अपनी न्यूज ‘खतरे की आगोश में इलाका ए कोतवाली’ के जरिये प्रशासन और पुलिस को पहले ही आगाह कर दिया था कि हमारा कोतवाली इलाका पूरी तरह खतरे की जद में है। लेकिन नाकारा प्रशासन और पुलिस ने मेरी न्यूज को संज्ञान में नहीं लिया। नतीजा..ये कि कोतवाली इलाके का मदान मार्केट ब्लॉस्ट में तबाह हो गया,हादसे में तीन जिंदगी खत्म हो चुकी है। आठ घायल जिंदगी और मौत से जूझ रहे है।
मार्केट के मलबे में अभी भी कई जिंदगिया दबी हुई है। ब्लॉस्ट ने समूचा मार्केट तबाह कर दिया। दरसअल,कोतवाली इलाके में सिर्फ मदान मार्केट ही नहीं ऐसे कई मार्केट और बिल्डिंगे है जो ‘खतरे की आगोश में है’। इलाके की मैन रोड़ समेत संकरी गलियों में अवैध रूप से बने कॉम्पलेक्सों और मार्केटों में ज्वैलरी कारीगरों की सैकड़ों दुकानों में चारों प्रहर एलपीजी सिलेण्डरों से धधकते गैस बर्नर और भट्टियों के कारण भीषण आगजनी की आंशका बनी रहती है, इतना ही नहीं ज्वैलरी कारीगर सोने चांदी की धूलाई के लिये तेजाब का जमकर इस्तेमाल करते है। इसके लिये ज्वैलरी कारीगर अपनी दुकानों में गैस सिलेण्डरों और तेजाब का स्टॉक रखते हैं। आग और तेजाब के प्रकोप से इलाके में भीषण दानावल भङक सकता है। हैरानी की बात तो यह सामने आई है कि इन कॉम्पलेक्सों और मार्केटों में आगजनी से सुरक्षा के कोई बंदोबश्त नहीं है। ऐसे में गैस बर्नर या भट्टी से भडक़ी मामूली सी चिंगारी से समूचा सिटी कोतवाली इलाका लाक्षागृह बन सकता है। इसके बावजूद सिस्टम के जिम्मेदार आंखे मूदे बैठे है। गौरतलब रहे कि कोतवाली इलाके में सिर्फ मदान मार्केट ही नहीं दर्जनों ऐसे मार्केट और बिल्डिंगे बनी हुई है,जहां जिनमें छोटे-छोटे बंकरो की तरह बनी सैंकड़ों दुकानों में हजारों की तादाद में बंगाली और मराठी कारीगर सोने-चांदी की गळाई और ज्वैलरी बनाने का काम करते है। इन दुकानों में ना सिर्फ एलपीजी गैस सिलेण्डरों के बर्नर धधकते रहते है,बल्कि सोने-चांदी को चमकाने के लिये भठ्ठियां और तेजाब का इस्तेमाल होता है।
सुरक्षा बंदोबश्तो के नामों निशान ही नहीं
कोतवाली इलाके के तमाम मार्केट और बिल्ंिडगों में आगजनी से सुरक्षा के कोई बंदोबश्त नहीं किये ऐसे समूचा इलाका हादसें के मुहाने पर खड़ा है। लोगों ने बताया कि इन कॉम्पलेक्सों और मार्केटों की सैकड़ों दुकानों में हर रोज हजारों कारीगर काम करते है, ज्वैलरी कारोबार से जुड़े लोगों का आना जाना भी लगा रहता है। लेकिन कॉम्पलेक्सों और मार्केटों में वाहन पार्किंग के कोई बंदोबश्त नहीं होने से वाहनों का जमावड़ा इस कदर लगा रहता है कि पैदल निकलना भी दूभर हो जाता है। सिटी कोतवाली इलाके में पनपी इस समस्या को लेकर स्थानीय लोग कई बार प्रशासन और पुलिस तक अपनी शिकायतें भी पहुंचा चुके है लेकिन उनकी सुनवाई नहीं होती। लोगों ने बताया कि सिटी कोतवाली में करीब अस्सी कॉम्पलेक्स और मार्केट है। इनमें से ज्यादात्तर अवैध बने हुए है। इनमें आगजनी से सुरक्षा और वाहन पार्किंग के कोई बंदोबश्त नहीं है। कोतवाली थाने में होने वाली सीएलजी मिटिंगों में यह मामला कई बार उठ चुका है लेकिन पुलिस भी कोई कार्यवाही नही करती। लोगों ने एक दूसरे की देखा-देखी मोटी कमाई के लिये अवैध कॉम्पलेक्स और मार्केट तो बना लिये दुकानें किराये पर चढ़ा दी। ऐसे में अगर कोई हादसा होता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। यह अब बड़ा सवाल बन गया है।
मुकेश पुनिया की रिपोर्ट
