राजकीय डूंगर महाविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर डॉ. अनिला पुरोहित ने बताया कि बीकानेर की स्थापना 1488 में राव बीका ने की थी. जो जोधपुर के महाराजा राव जोधा के पुत्र थे. बताते है कि इस शहर के बसने के पीछे एक कहानी है कि जब जोधपुर में दरबार चल रहा था. तब राव बीका जी अपने मामा से बात कर रहे थे.
राजस्थान का धोरों वाला बीकानेर शहर अब 538 साल का हो गया है. इस शहर की आज स्थापना दिवस है और आज ही के दिन 538 साल पहले एक पिता ने अपने पुत्र को ताने मारने के बाद एक पुत्र ने पूरा नया शहर ही बसा दिया. आज इस शहर के धोरे को देखने के लिए देश और विदेश से बड़ी संख्या में लोग आते है. यह मारवाड़ का ऐसा इलाका है जहां से निकलकर लोग आज पूरी दुनिया में सबसे अमीर व्यक्तियों में नाम आता है. बीकानेर का खान पान पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस शहर की सबसे बड़ी खासियत अपनायत के लिए प्रसिद्ध है. इस शहर की सबसे बड़ी खासियत है कि यह शहर अपनी परम्परा ओर सौहार्द के लिए पुरी दुनिया भर में जाना जाता है. ऐसे में अपनी गंगा-जमुना संस्कृति को दर्शाती इस शहर की आबों हवा भी ऐसी है जहां एक बार कोई आता है तो यहीं का होकर रह जाता है.
राजकीय डूंगर महाविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर डॉ. अनिला पुरोहित ने बताया कि बीकानेर की स्थापना 1488 में राव बीका ने की थी. जो जोधपुर के महाराजा राव जोधा के पुत्र थे. बताते है कि इस शहर के बसने के पीछे एक कहानी है कि जब जोधपुर में दरबार चल रहा था. राव बीका जी अपने मामा से बात कर रहे थे. राव जोधा जी ने कहा कि मामा और भांजा कोई नए राज्य की स्थापना कर रहे हो क्या. इसके बाद राव बीका ने अपने पिता की इस बात को ताने के रूप में लेकर एक नए राज्य की स्थापना करने के लिए निकल पड़े. राव बीका ने कुछ सैनिकों के साथ और कुछ सामान के साथ बीकानेर शहर की स्थापना की.
बीकानेर शहर हुआ 538 साल
वे बताते है कि यहां के धोरे पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. इस शहर को हजार हवेलियों का शहर कहा जाता है. यहां कि उस्ता आर्ट, माथेरन कला काफी प्रसिद्ध है. कई देशी और विदेशी लोग यह कला सीखने के लिए यहां आते है. बीकानेर का भुजिया और रसगुल्ला की डिमांड पूरी दुनिया में है. जमीन का जेवर कहा जाने वाला जूनागढ़ का किला और भंडाशाह जैन मंदिर देखने के लिए विदेशी भी आते है. बीकानेर का तीज त्योहारों को देखने के लिए कई लोग आते है.
