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राजस्थान के IAS-IPS भी साइबर ठगों के निशाने पर:2 अफसरों का वॉट्सऐप अकाउंट हैक किया, जूनियर से मांगे पैसे, सवा 2 करोड़ ठगे..!!

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जयपुर

‘मैं राजस्थान के कार्मिक विभाग में सीनियर IAS हूं….अभी कॉल करने में असमर्थ हूं, इसलिए मैसेज कर रहा हूं… मैं फ्रांस आया हुआ था…यहां मेरे साथ एक इमरजेंसी हो गई….मुझे अर्जेंट में 5 लाख रुपए की जरूरत है। क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो।‘

कई जूनियर अफसरों को एक जैसा वॉट्सऐप मैसेज मिला, जिसमें पैसों की डिमांड थी। सबके मन में एक ही सवाल था कि साहब को अचानक पैसों की जरूरत कैसे पड़ गई।

इससे पहले कि माजरा समझ में आता, कई लोग गलती कर बैठे। मैसेज में मिले अकाउंट नंबर पर पैसे भेज दिए। लेकिन जब हकीकत पता चली तो नींद उड़ गई। दरअसल, ये एक जाल था जो साइबर ठगोंं ने बिछाया था।

साइबर ठगों के निशाने पर प्रदेश के कई IAS-IPS और अन्य अधिकारी हैं, जिनके फोटो और मोबाइल नंबर सरकारी वेबसाइट पर आसानी से उपलब्ध हैं। यहां तक कि अदालतों में तैनात न्यायिक अफसरों के वॉट्सऐप अकाउंट हैक कर लोगों से रुपए ऐंठ रहे हैं। हाल ही में ठगों ने एक रिटायर्ड आईपीएस से सवा दो करोड़ रुपए ठग लिए।

संडे बिग स्टोरी में पढ़िए- कैसे शातिर ठग सरकारी वेबसाइट से डेटा चुराकर अफसरों को निशाना बना रहे हैं।

सबसे पहले हाल ही में आए बड़े मामलों से समझते हैं, कैसे साइबर ठग प्रदेश के अफसरों को निशाना बना रहे हैं…✍️

केस-1: महिला सहित दो सीनियर IAS के वॉट्सऐप हैक, रुपयों की डिमांड

साइबर ठगों ने 6 जनवरी प्रदेश के एसीएस स्तर के सीनियर IAS और उसके बाद 9 जनवरी को भी एक वरिष्ठ महिला IAS को भी उसी तर्ज पर निशाना बनाया।

ठगों ने दोनों अफसरों के सरकारी वेबसाइट से मोबाइल नंबर निकाले। उनके नीचे काम करने वाले जूनियर अफसरों की भी डिटेल निकाली। फिर दोनों आईएएस अधिकारियों के वॉट्सऐप अकाउंट हैक कर लिए।

पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार साइबर ठगों ने पहले आईएएस अधिकारियों के वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड चोरी कर अकाउंट हैक किया। फिर उन वॉट्सऐप का मनचाहे तरीके से इस्तेमाल शुरू कर दिया।

ठगों ने दोनों ही मामले में IAS बनकर खुद को कहीं विदेश में इमरजेंसी में फंसा हुआ बताने का एक मैसेज इंग्लिश में तैयार किया। उस मैसेज को दोनों अफसरों के हैक किए वॉट्सऐप नंबर से उनके जूनियर अफसरों को भेजना शुरू कर दिया।

कई जूनियर अफसरों से चैट कर कहा कि वे कॉल पर बात नहीं कर पा रहे, साइबर क्रिमिनल ने उनके परिचित व जूनियर अधिकारियों से रुपए मांगना शुरू कर दिया। डिमांड लाखों रुपए में थी।

खुद अधिकारियों को भी इस वारदात के बारे में उस समय पता चला, जब कुछ जूनियर अधिकारियों के उनके निजी नंबरों पर फोन आने शुरू हुए। हालांकि यह गनीमत रही कि ठग आईएएस और उनसे जुड़े लोगों से पैसा नहीं निकलवा पाए।

साइबर ठगों की चाल समझ में आते ही अधिकारियों ने अपने से जुड़े लोगों और जूनियर अफसरों से बैंक अकाउंट में रुपए नहीं डालने की अपील की और इसकी शिकायत साइबर पुलिस को दी।

केस-2: न्यायिक अधिकारी का वॉट्सऐप हैक किया, मैसेज कर पैसों की डिमांड

इसी तर्ज पर दो महीने पहले नवंबर 2024 में प्रदेश की एक अदालत में न्यायिक अधिकारी के नाम पर भी साइबर ठगी की कोशिश हुई। ठगों ने इंटरनेट पर उपलब्ध डार्क वेब से न्यायिक अधिकारी का नंबर निकाला।

उनका वॉट्सऐप नंबर हैक कर उनके स्टाफ को मैसेज भेजकर रुपयों की डिमांड की। हालांकि सतर्कता के चलते इस केस में रुपयों का लेन-देन नहीं हुआ।

न्यायिक अधिकारी का वॉट्सऐप हैक करने के बाद साइबर ठगों ने जूनियर कर्मचारियों को मैसेज कर पैसे मांगे। (इमेज सोर्स : मेटा AI)

पुलिस को मिली शिकायत की जांच में सामने आया कि इस अधिकारी के हैक वॉट्सऐप अकाउंट से उनके उन्हीं जूनियर कर्मचारियों को मैसेज किए गए थे, जिनके मोबाइल नंबर भी वेबसाइट पर उपलब्ध थे। इस मामले में पुलिस को शिकायत जरूर की गई लेकिन केस दर्ज नहीं कराया गया।

केस-3: रिटायर्ड आईपीएस से ठगे सवा 2 करोड़

रिटायर्ड अधिकारी भी साइबर ठगों के निशाने पर हैं। कई विभागों की वेबसाइट पर रिटायर्ड अधिकारियों की भी जानकारी उपलब्ध है। साइबर क्रिमिनल ने 4 महीने पहले सितंबर 2024 में एक रिटायर्ड आईपीएस को धमकाकर उन्हें डिजिटल अरेस्ट कर लिया।

उनसे 2 करोड़ 16 लाख 50 हजार रुपए ऐंठ लिए। पुलिस के अनुसार बदमाशों ने पीड़ित अधिकारी को कॉल कर उनके द्वारा भेजे गए कॉरियर में आपत्तिजनक वस्तुएं मिलने का झांसा देकर वॉट्सऐप पर डिजिटल अरेस्ट किया था।

बदमाशों ने सीबीआई अधिकारी बनकर पूरी वारदात को अंजाम दिया। इस संबंध में साइबर थाना पुलिस ने रिटायर्ड आईपीएस की रिपोर्ट पर केस दर्ज कर जांच शुरू की।

पुलिस ने इस मामले में परिवादी को 1 करोड़ 75 लाख रुपए वापस दिलवाए हैं। वहीं, साइबर टीम इस केस से संबंधित बैंक अकाउंट की पड़ताल में जुटी है।

केस-4 : कलेक्टर की फोटो लगाकर ठगी की कोशिश

28 दिसंबर को उदयपुर जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल के नाम की फर्जी आईडी बनाकर एक नेता के साथ साइबर फ्रॉड करने की कोशिश की गई।

साइबर ठगों ने कलेक्टर की फोटो लगी हुई एक आईडी से उदयपुर में बीजेपी के जिला मंत्री गजपाल सिंह राठौड़ को मैसेज भेजा। इसमें साइबर बदमाश ने बदमाश ने खुद को कलेक्टर बताया।

साथ ही कहा कि उनका एक सीआरपीएफ में दोस्त है, जिनका ट्रांसफर हो गया है। वह अपने घर का फर्नीचर बेचना चाहते हैं, जो काफी अच्छी कंडीशन में हैं।

बाद में नेता के वॉट्सऐप पर एक मैसेज आया, जिस पर एक सीआरपीएफ अधिकारी की फोटो लगी हुई थी। इसमें फर्नीचर की फोटो और कुछ जानकारियां भी शेयर की गई।

मैसेज में बदमाश ने फर्नीचर की एवज में 1 लाख 11 हजार रुपए की डिमांड की। इस दौरान राठौड़ को शक हुआ, तो उन्होंने उदयपुर के कलेक्टर अरविंद पोसवाल को कॉल कर मैसेज के बारे में जानकारी दी।

इस पर कलेक्टर ने बताया कि उनकी ऐसी कोई प्रोफाइल नहीं है, किसी बदमाश ने उनके साथ ठगी करने का प्रयास किया है। मामला सामने आने के बाद बीजेपी नेता ने पुलिस में शिकायत दी।

कई IAS के नाम पर ठगी कर चुके साइबर ठग

  1. पिछले साल अक्टूबर में मेवात के साइबर ठगों ने खैरथल-तिजारा के तत्कालीन कलेक्टर किशोर कुमार की फोटो लगाकर परिचितों से रुपए मांगने की कोशिश की थी। जांच में सामने आया कि आरोपियों ने उज्बेकिस्तान के नंबर का इस्तेमाल किया था।
  2. अगस्त 2022 में चर्चित आईएएस और तत्कालीन जैसलमेर कलेक्टर टीना डाबी के नाम से वॉट्सऐप अकाउंट बनाकर उनकी डीपी लगाकर ठगी करने का मामला सामने आया था। डूंगरपुर के आरोपी ने इस अकाउंट से यूआईटी सचिव को मैसेज किया था। पुलिस ने जांच के बाद आरोपी को धर दबोचा।

खैरथल-तिजारा के तत्कालीन कलेक्टर का उज्बेकिस्तान के मोबाइल नंबर से वॉट्सऐप अकाउंट बनाकर ठगी का प्रयास किया गया।

  1. वर्ष 2022 में ही कोटा संभाग के डिविजनल कमिश्नर आईएएस दीपक नंदी के नाम से फर्जी वॉट्सऐप अकाउंट बनाकर अधीनस्थ कर्मचारियों से 50 हजार रुपए मांगने का मामला सामने आया था। आरोपी ने कई कर्मचारियों और अधिकारियों को मैसेज किए थे। मोबाइल नंबर तेलंगाना से ऑपरेट हो रहा था, जिसे जांच के बाद बंद करा दिया गया।
  2. वर्ष 2022 में ही जयपुर के समाज कल्याण विभाग के तत्कालीन निदेशक आईएएस हरिमोहन मीणा के नाम पर अमेजन गिफ्ट वाउचर मांगने का मामला सामने आया था। ठग ने पीआरओ को फोन कर गिफ्ट वाउचर खरीदने को कहा था। पीआरओ की सजगता से आरोपी धोखाधड़ी करने में कामयाब नहीं हो सके।

ठगी की इस वारदात को कैसे अंजाम दिया आइए आसान भाषा में समझते हैं…

साइबर फॉरेंसिक एंड लॉ एक्सपर्ट सोनाली गुहा के अनुसार अधिकारी के मोबाइल नंबर सरकारी वेबसाइट से लेने के बाद उसका वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड हासिल करते हैं।

ये एक्टिवेशन कोड कुछ टेलीग्राम चैनल या डार्क वेब पर आसानी से मिल जाते हैं। डार्क वेब एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां साइबर ठगों को लोगों का पर्सनल डेटा मिल जाता है। इसकी मदद से वे अधिकारियों के वॉट्सऐप नंबर से ठगी करते हैं।

साइबर क्रिमिनल सरकारी और न्यायिक वेबसाइटों से व्यक्तिगत जानकारी लेते हैं।
ऑनलाइन गेमिंग ग्रुप और अन्य माध्यम से वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड चोरी करते हैं।
वरिष्ठ अधिकारियों के फोटो और नंबर से अकाउंट बनाकर अधीनस्थों और परिचितों से रुपए ऐंठते हैं।
साइबर ठग अपनी पहचान छुपाने के लिए वीपीएन या स्पूफ्ड आईपी का उपयोग करते हैं। ये अधिकतर देश के बाहर से संचालित होते हैं। जिसके कारण अपराधी पकड़े नहीं जाते हैं।

ठगों के पास वॉट्सऐप हैक करने के कई तरीके

साइबर फॉरेंसिक एंड लॉ एक्सपर्ट सोनाली गुहा ने बताया कि वॉट्सऐप दो तरीके से काम करता है। एक तो आपको मोबाइल में इंस्टॉल ऐप और दूसरा वेब पर लॉगिन के जरिए। ठग आपके मोबाइल में मौजूद वॉट्सऐप हैकिंग के कई तरीके अपनाते हैं। अगर आपने गूगल क्रोम या किसी डिवाइस में वॉट्सऐप वेब लॉगिन किया है और उसे लॉगआउट नहीं किया तब भी हैकर्स इसका फायदा उठा सकते हैं। लेकिन सबसे ज्यादा जरूरी होता है वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड।

वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड चोरी कर साइबर ठगी उस नंबर से वॉट्सऐप अपने मोबाइल में एक्टिवेट कर लेते हैं। इसके बाद, वे कॉन्टैक्ट लिस्ट में शामिल लोगों को मैसेज भेजकर पैसे या अन्य संवेदनशील जानकारी मांग सकते हैं। एक्टिवेशन कोड हासिल करने के लिए क्रिमिनल परिचित या भरोसेमंद व्यक्ति बनकर कॉल या मैसेज करते हैं। ऑनलाइन गेमिंग ग्रुप्स, डार्क वेब और कई टेलीग्राम चैनल पर भी वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड मिल जाते हैं। जिनका दुरुपयोग किया जाता है।

AI से बनाए पैसे की डिमांड वाले मैसेज

पुलिस की पड़ताल में सामने आया कि साइबर ठग पढ़े लिखे लोगों को ठगने के लिए AI टूल का इस्तेमाल कर रहे हैं। साइबर ठगों ने सभी मैसेज प्राफेशनल अंग्रेजी में भेजे थे। साइबर पुलिस को उपलब्ध कराए गए स्क्रीन शॉट व चैट हिस्ट्री की जांच में सामने आया कि उन्हें चैट जीपीटी की मदद से लिखा गया था।

मैसेज में खुद को बिजी बताते हुए इमरजेंसी में ऑनलाइन रुपए ट्रांसफर करने की डिमांड की गई, ताकि किसी को शक नहीं हो। साइबर क्रिमिनल ने इन मैसेज को उन सभी अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजा था। जिनके नाम व नंबर वेबसाइट पर उपलब्ध थे।

जयपुर पुलिस जारी कर चुकी एडवाइजरी

वॉट्सऐप अकाउंट हैक या फेक अकाउंट से ठगी की बढ़ती वारदात रोकने के लिए जयपुर पुलिस ने एडवाइजरी जारी की है। सरकारी अधिकारियाें को सार्वजनिक वेबसाइट्स पर संवेदनशील जानकारी को सीमित करने और मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन का उपयोग करने की सलाह दी है। साइबर पुलिस ने वॉट्सऐप एक्टिवेशन कोड या ओटीपी किसी के साथ साझा नहीं करने को कहा है। पुलिस ने आम जन से संदिग्ध मैसेज और अज्ञात नंबरों या अकाउंट्स से मिले संदेशों को वेरीफाई करने की अपील की है। इसके साथ ही ऑनलाइन गेम खेलने वालों से ग्रुप्स में अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करने को कहा है।

वेबसाइट से जानकारी हटाने की अपील

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ (एकीकृत) के प्रदेशाध्यक्ष गजेंद्र सिंह ने सरकारी वेबसाइट पर कर्मचारियों के व्यक्तिगत मोबाइल नंबर अपलोड करने पर आपत्ति जताई है। उन्होंने सरकार से केवल सीयूजी नंबर अपलोड करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के कर्मचारियों के निजी नंबरों को सरकारी वेबसाइट पर अपलोड नहीं करना चाहिए। इन नंबरों से कर्मचारियों के आधार कार्ड, बैंक अकाउंट जुड़े होते हैं। अगर सरकार कर्मचारियों के मोबाइल नंबर सार्वजनिक करना चाहती है तो सभी कर्मचारियों को सीयूजी नंबर दिए जाएं।

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