बीकानेर
अनाजमंडी के पास सड़क पर गड्ढों को भरने के लिए डलवाना पड़ता है मलबा।
पीडब्ल्यूडी को शहर की सड़कों के लिए 8 करोड़ रुपए की वित्तीय स्वीकृति मिल गई है। इस राशि से बीकानेर पश्चिम की 5 करोड़ से 13 सड़क और पूर्व की 3 करोड़ से 3 सड़क बनाई जानी है। इसका सबसे दुखद पक्ष ये है कि इतनी राशि खर्च होने के बाद सड़कों की उम्र सिर्फ तीन महीने होगी। क्योंकि विभाग कितनी ही तेजी से काम करे मार्च से पहले सड़कों का निर्माण मुश्किल है। जनवरी बीतने को है। फरवरी और मार्च में सड़कें बनेंगी।
अप्रैल-मई और जून, सिर्फ तीन महीने ही शहर के लोग इनका लाभ ले सकेंगे। जुलाई की पहली बरसात इन सड़कों को तोड़ देगी क्योंकि शहर में जल निकासी का इंतजाम नहीं है। उसके बाद फिर लाइबिलिटी, पैचवर्क और गड्डे भरने का काम चलता रहेगा।
सितंबर 2023 में जो सड़कें बननी चाहिए थी वो अब फरवरी-मार्च 2025 में बनेंगी। पीडब्ल्यूडी ने इसका वर्कआर्डर जारी कर दिया है। फरवरी तक सड़कों पर कामकाज शुरू होगा। मार्च तक सड़कें बन पाएंगी। अप्रैल, मई और जून के बाद जुलाई में फिर से मानसून आएगा। जो सड़कें चिन्हित हुई उसमें एक भी ऐसी नहीं जिसके दोनों साइड में नालियां हों। ऐसे में पानी सड़कों पर ही भरेगा। बीडीए ने तो इस साल हद ही कर दिया। मानसून के बाद जो सड़कें बन जानी चाहिए थी उनका सर्दी शुरू होने तक एस्टीमेट तक नहीं बना पाया। जयनारायण व्यास कॉलोनी जो पॉश इलाका है। उसके इससे बुरे हाल कभी नहीं हुए। पॉश इलाका करणीनगर भी है। यहां टेंडर हो गया और फरवरी-मार्च तक बनेगी।
यूआईटी की दो प्रमुख सड़कें दीनदयाल सर्किल से अंबेडकर भवन करणीनगर तक की सड़क का टेंडर हो चुका है। टाइल्स और डिवाइडर के कारण मामला अटक गया था। अब बीडीए इसे बनाएगा। दूसरी सड़क जयनारायण व्यास कॉलोनी मुख्य मार्ग की है। इसके एस्टीमेट सर्दी शुरू होने से पहले बन गए थे। केन्द्रीय कानून मंत्री, खाजूवाला विधायक और पूर्व मंत्री समेत तमाम वीआईपी का ये इलाका है बावजूद इसके इस सड़क का उद्धार नहीं हो पा रहा।
ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से टूट रही शहर की सड़कें : शहर में ऐसी कोई सड़क नहीं जहां बारिश का पानी ना टिकता हो। वजह, सड़कों का लेवल और दोनों ओर नालियों का नहीं होना है। बारिश का पानी सड़कों पर कई कई घंटों जमा रहता है। शहर के कुछ इलाकोें में ढलान होने से पानी नहीं टिकता पर आउटर में ऐसी शायद ही कोई सड़क हो। शहर की सड़कें तो दूर। हाई-वे की सड़कों के भी यही हालात हैं। करोड़ों रुपए खर्च कर म्यूजियम सर्किल से हल्दीराम प्याऊ तक सड़क बनी बावजूद इसके सड़क की ढलान और लेवल इतना घटिया कि बरसात में यहां पानी जमा ही रहता है। ऊपर से आधे अधूरे दोनों ओर बने नाले हैं। अधिकारियों को फुर्सत नहीं मौका देखने की। यही हालात श्रीगंगानगर चौराहे से पूगल रोड तक है।
ये सड़क बारिश में लबालब ही रहती है जबकि इस पर भारी भरकम वाहनों का आना जाना रहता है। सड़क लोड नहीं झेल पाती और टूट जाती है। दीनदयाल सर्किल से अंबेडकर भवन वाली रोड पर दोनों ओर नालियां नहीं है। नालियों की जगह है पर बीडीए नालियां नहीं बनवा रहा। निगम ने टाइल्स के लिए तो राशि मंजूर की थी लेकिन नालियों पर ध्यान नहीं दिया गया। यही वजह है कि हर साल सड़कों पर पैसे खर्च हो रहे। अगर सड़कों के किनारे नाले और नालियां हों तो तो करोड़ों रुपए जो पैचवर्क में खर्च किए जा रहे हैं वह बच सकते हैं।
मुक्ताप्रसाद कॉलोनी सेक्टर 3 चौराहे से रामपुरिया मेन मार्केट मस्जिद वाले मोड तक
रानीबाजार बाजार चौराहे से आरओबी वाया उत्सव होटल आरओबी से रानीबाजार पुलिस चौकी तक
श्रीगंगानगर रोड के किसान भवन से लालगढ़ आरओबी तक।
8 करोड़ से होगा इन सड़कों का निर्माण
ओम शिव लाइब्रेरी से केवलराम के घर तक।
रोहित दूध भंडार से केवलराम के घर तक।
रोहित दूध भंडार से लक्की हेयर सैलून तक।
सुरजाराम कूकणा के घर से सर्वोदय बस्ती तक।
रामदयाल के घर से सुरेश सारण के घर तक।
भैरूंजी मंदिर से पूगल रोड तक सर्वोदय बस्ती।
लेगाबाडी में कई छोटी सड़कें।
टेकचंद बरडिया के घर से रामकिशन के घर तक।
गोल्डन गेट अकादमी से विशला माता मंदिर तक।
टीकूराम के घर से जाट शमशान भूमि तक।
गणेश बाल निकेतन स्कूल के पीछे।
तेरापंथ भवन से भोमियां जी मंदिर तक।
मुरलीमनोहर मंदिर से टेकचंद बरडिया के घर तक भीनासर कुआं तक
