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हिस्ट्रीशिटर व हार्डकोर अपराधी सलमान भुट्टा RAJPASA Act के तहत निरूद्ध, अब तक हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट व फिरौती जैसे 29 गंभीर मामले है दर्ज !

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हिस्ट्रीशिटर व हार्डकोर अपराधी सलमान भुट्टा RAJPASA Act के तहत निरूद्ध, अब तक हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट व फिरौती जैसे 29 गंभीर मामले है दर्ज !

बीकानेर पुलिस की बड़ी कार्यवाही, RAJPASA Act के तहत हार्डकोर अपराधी सलमान भुट्टा को किया गया निरूद्ध, सलमान भुट्टा है बीकानेर पुलिस का सक्रिय हिस्ट्रीशिटर व एटीएस एवं एसओजी द्वारा अनुमोदित हार्डकोर अपराधी भी, बीकानेर जिले में अलग-अलग पुलिस थानों में 29 प्रकरण हैं दर्ज, हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट व फिरौती जैसे गंभीर मामले हैं दर्ज, एक साल में RAJPASA Act के तहत बीकानेर पुलिस की तीसरी बार निरूद्धगी की कार्यवाही, पूर्व में भी एच.एस. दानाराम सियाग व एच.एस. कमल डेलू को किया गया था RAJPASA Act में निरूद्ध।

कौन है सलमान भुट्टा: सलमान सदर थाना क्षेत्र के भुट्टों का बास का रहने वाला एक हार्डकोर अपराधी है। 31 वर्षीय सलमान पुत्र अनवर मोहम्मद को एसओजी व एटीएस ने भी हार्डकोर अपराधी की श्रेणी में शामिल कर रखा है। वह लंबे समय से सक्रिय हिस्ट्रीशीटर है। हत्या के प्रयास, आर्म्स एक्ट व फिरौती जैसे गंभीर अपराधों में शामिल रहा है। 2009 में उसके खिलाफ पहला मुकदमा हुआ। पिछले 15-16 सालों में उसके खिलाफ मुकदमों का आंकड़ा 29 पर पहुंच गया। ये सभी मुकदमें बीकानेर के सदर, बीछवाल, जयनारायण व्यास कॉलोनी, कोटगेट, नयाशहर, कोलायत व लूणकरणसर थाने में दर्ज हुए। सबसे ज्यादा 13 मुकदमें सदर में दर्ज हैं, इसके अतिरिक्त बीछवाल में 6, जयनारायण व्यास कॉलोनी में 3, कोटगेट में 3, नयाशहर में 2 तथा कोलायत व लूणकरणसर में एक एक मुकदमा दर्ज हुआ। ख़ास बात यह रही कि सलमान का आपराधिक क्षेत्र अधिकतर बीकानेर शहर ही रहा है। जिले से बाहर कोई मुकदमा दर्ज नहीं है। 

क्या है राज पासा— राज पासा राजस्थान द्वारा बनाया गया एक ऐसा अधिनियम है जो आदतन खूंखार अपराधियों की हवा टाइट करने में सक्षम है। ऐसे अपराधी जो नियंत्रण से बाहर होकर समाज के लिए खतरा बन चुके हों, उन पर राज पासा लगाया जाता है। राज. पासा के तहत होने वाली जेल सामान्य जेल से कहीं अधिक कठोर होती है। सामान्यतया हत्या जैसे गंभीर अपराधों में भी एक बैरक में बहुत सारे अपराधियों को एक साथ रखा जाता है। टीवी की सुविधा दी जाती है। मेहनत मजदूरी कर कमाने का अवसर भी दिया जाता है। यहां तक कि निश्चित समय पर परिजनों से फोन पर बात करने, मिलने व सही चलने पर पैरोल पर रिहाई की सुविधा दी जाती है। इसके अतिरिक्त जमानत व अपील के रास्ते भी खुले होते हैं। मगर राज पासा लगने पर अपराधी को एक ऐसी बंद कोठरी में अकेले रखा जाता है, जिसमें स्नानघर व शौचालय भी अंदर ही होता है। एक साल की सजा अवधि तक अपराधी उस कोठरी से बाहर नहीं निकल सकता। उससे ना मजदूरी करवाई जाती है, ना परिजनों से फोन पर बात करने व मिलने की सुविधा दी जाती है। अपराधी कोठरी में अकेला रहता है। जानकारी के अनुसार राज पासा लगने पर सुप्रीम कोर्ट भी जमानत नहीं देता। ऐसे में एक बार जिस पर राज पासा लग गया, उसे करीब एक साल की अवधि तक एक छोटी सी कोठरी में ही गुजारने पड़ते हैं।

किसी भी खूंखार अपराधी को राज पासा के तहत जेल में बंद करवाने के लिए पुलिस अधीक्षक द्वारा जिला कलेक्टर एवं मजिस्ट्रेट के समक्ष इस्तगासा प्रस्तुत किया जाता है। कलेक्टर अपराधी को निरुद्ध करने के आदेश देते हैं। अपराधी को निरुद्ध करने के बाद निरुद्धि आदेश अनुमोदन के लिए सरकार को भेजा जाता है। सरकार पूरे मामले की जांच करती है। अपराधी पर राज पासा लगाने की आवश्यकता प्रमाणित होने पर फाइल हाई कोर्ट के सलाहकार बोर्ड को भेजी जाती है। कलेक्टरी आदेश से तीन माह के अंदर ही यह सारी प्रक्रिया करनी आवश्यक होती है। हाई कोर्ट के सलाहकार बोर्ड के समक्ष सुनवाई में अपराधी, कलेक्टर व एसपी को पेश होना पड़ता है। जानकारी के अनुसार इस मामले में अपराधी की तरफ से कोई वकील पैरवी नहीं कर सकता। अपराधी स्वयं ही अपना पक्ष रख सकता है।

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