पेपरलीक मामले में जेल में बंद राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) के पूर्व सदस्य बाबूलाल कटारा के सरकारी गवाह बनने और क्षमादान चाहने की एप्लिकेशन को एडीजे कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जयपुर महानगर द्वितीय की एडीजे 1 कोर्ट ने कहा- कटारा को सरकारी गवाह बनाए बिना भी फाइल में पर्याप्त सबूत है।
दरअसल, बाबूलाल कटारा सीनियर टीचर भर्ती पेपर लीक मामले में अप्रैल 2023 में गिरफ्तार हुआ था। तब से जेल में बंद है।
एसआई भर्ती-2021 पेपरलीक मामले में आरपीएससी के पूर्व सदस्य रामू राम राईका ने गिरफ्तारी के बाद एसओजी को बताया था कि उसे पेपर बाबूलाल कटारा से मिला था। जिसके बाद एसओजी ने उसे जेल से इस मामले में भी गिरफ्तार किया था।
इसके बाद कटारा ने सरकारी गवाह बनने की मंशा जताते हुए सीजेएम कोर्ट में एप्लिकेशन दायर कर क्षमादान मांगा था। अदालत ने 27 सितंबर को उसे खारिज कर दिया था। जिसकी अपील कटारा ने डीजे कोर्ट में की थी।
महत्वपूर्ण साक्ष्य दे तो एतराज नहीं
अदालत ने कहा कि मामले में 67 लोगों के खिलाफ चालान पेश हो चुका है। कटारा को इस मामले में रामूराम राईका और अन्य के साक्ष्य के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा मामले में ऐसी परिस्थितियां मौजूद है कि कटारा को सरकारी गवाह बनाए बिना भी फाइल पर पर्याप्त साक्ष्य है। एडीजे कोर्ट ने मामले में निचली अदालत के कटारा की एप्लिकेशन खारिज करने के आदेश को सही माना।
कटारा ने सीआरपीसी की धारा 306 के तहत पेश प्रार्थना-पत्र में कहा था कि वह स्वेच्छा से माफी गवाह बनने का इच्छुक है। वह घटना को लेकर अदालत के समक्ष साक्ष्य पेश करने की इच्छा रखता है। ऐसे में उसे क्षमादान दिया जाए। एप्लिकेशन का जांच एजेंसी ने विरोध नहीं किया था।
ऐसे में निचली अदालत ने उसकी एप्लिकेशन गलत तरीके से खारिज किया है। मामले में फिलहाल अनुसंधान लंबित है। इसलिए उसे माफी गवाह बनाकर क्षमादान दिया जाए। वहीं मामले के परिवादी नियाज मोहम्मद खान की ओर से कहा गया कि यदि कटारा महत्वपूर्ण साक्ष्य देता है तो उसे कोई एतराज नहीं है।
