बीकानेर। चैक अनादरण के मामले में न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए आरोपित पर जुर्माना और सजा का आदेश दिया है। इस सम्बंध में विशिष्ट न्यायिक मजिस्ट्रेट एनआईए संख्या दो की पीठासीध अधिकारी भारती पाराशर ने फैसला दिया है। परिवादी राकेश कुमार खींचड़ की और से अधिवक्ता विक्रम सिंह बीदावत ने पैरवी की। न्यायालय ने इस मामले में महेश चन्द्र पुरोहित पुत्र रामचन्द्र पुरोहित निवासी पुष्करणा स्टेडियम के पीछे रहने वाले को दोषी मानते हुए सवा दो लाख रूपए जुर्माना व 9 माह का कारावास की सजा का आदेश दिया है।
नापासर के रहने वाले राकेश कुमार खीचड़ पुत्र गोरधन लाल ने परिवाद देते हुए बताया था कि उसके आरोपित के साथ अच्छे सम्बंध थे। जिसके चलते 28 अगस्त 2016 को उसने जरूरत के समय 5 लाख रूपए उधार दिए। इस पर महेश चन्द्र ने उसे जून 2017 में पैसे वापस लौटाने का आश्वासन दिया। समय पर जब तकाजा किया तो आरोपित ने उसे दो चैक दिए। एक चैक 370000 और दूसरा चैक 170000 का था। परिवादी ने 15 सितम्बर 2017 को चैक बैंक में लगाए और अगले ही दिन पैसे नहीं होने के चलते चैक वापस आ गए। परिवादी ने महेश चन्द्र को चैक अनादरण की सूचना दी और पैसे की मांग की लेकिन पैसे नहीं मिले। 26 सितम्बर 2017 को परिवादी ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से महेश चन्द्र के खिलाफ परिवाद पेश किया और न्यायालय से मांग की उसे 5 लाख की दुगुनी राशि दिलवाई जावे। जिसके बाद न्यायालय में कई बार सुनवाई हुई तो महेश चन्द्र पुरोहित ने कहा कि वह तो निर्दोष है और उसे झुठा फसाया जा रहा है। महेश चन्द्र ने कहा कि उसका परिवादी से कोई लेना देना नहीं है। परिवादी के पास चैक कैसे पहुंचा उसे पता ही नहीं। 18 अक्टूबर 2022 को साक्ष्य सफाई पेश ना करने पर साक्ष्य सफाई का अवसर बंद कर दिया गया।
यह हुई कार्रवाई
न्यायालय ने दो पक्षों को सुना और आज आदेश दिया है कि महेश चन्द्र पुरोहित को विभिन्न धाराओं में दोषसिद्ध घोषित किया जाता है साथ ही आदेश दिया जाता है कि 9 माह का साधारण कारावास, 5 लाख रूपए और सवा दो लाख रूपए जुर्माना कुल सवा सात लाख रूपए अर्थदंड के रूप में दिए जावे। पैसे नहंी देने की स्थिति में एक महीने का अतिरिक्त कारावास भी अलग से होगा। सम्पूर्ण राशि बतौर प्रतिफल परिवादी को दी जावे।
