मृत्यु सत्य है, शरीर नश्वर है, यह अटल सत्य सभी जानते हैं लेकिन बहुत ही कम व्यक्तित्व होते है जिन पर परमात्मा की असीम कृपा होती है जो बहुत ही अल्प आयु में अपने व्यक्तित्व, स्वर्णमय कार्यप्रणाली से हर एक के दिल में सम्मान, स्नेह पाते हैं। ऐसी ही महान समाज सेविका व मार्गदर्शक थी हमारी ज्ञानेश्वरी जी जिन्होंने हर व्यक्ति के हृदय में सम्मान व स्नेह पाया । परंतु ऐसी विभूतियों की मानव से ज्यादा ईश्वर को भी जरूरत होती है तभी बहुत ही अल्प समय में हमसे बिछड़ गई। आप जहां भी है ईश्वरीय कृपा आप पर हमेशा बरसती रहे। प्रथम पुण्यतिथि पर सादर नमन । आईये हम सब भी रक्तदान कर ज्ञानेश्वरी जी को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
