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अजमेर में बाढ़, 20 हजार लोग घरों में कैद:50 कॉलोनियों में घुटनों तक पानी, किचन में तैर रहीं मछलियां, छत पर खाना बना रहे

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अजमेर

अजमेर… स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल शहर। फिलहाल बाढ़ के हालात से जूझ रहा है। औसत 550 एमएम के मुकाबले इस बार 932 एमएम बारिश, यानी 69% ज्यादा बारिश।
नतीजा- 50 से ज्यादा कॉलोनियों के 20 हजार लोग 6 दिन से घरों में कैद हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। नौकरीपेशा ने ऑफिस से छुट्‌टी ले रखी है। कई घरों में तो पानी भरने के कारण खाना तक छत पर बनाना पड़ रहा है।
परेशानी सिर्फ इतनी ही नहीं है। घरों में पानी के साथ आईं मछलियां और कीड़े अब बीमारियां फैलने की वजह बन रहे हैं।

नाले का पानी घरों में आया रेलवे स्टेशन के सामने बनी ब्रह्मपुरी कॉलोनी में हालात बद से बदतर हो गए हैं। यहां रहने वाले अरविंद यादव कहते हैं- नाले का पानी ओवरफ्लो होकर कॉलोनी में आ रहा है। नाले की चौड़ाई और गहराई बहुत कम है। ऐसे में पानी सीधा घरों में आ रहा है।
घर में आ रहे हैं कीड़े अंजू मिश्रा बताती हैं- कमरों, किचन और बाथरूम में पानी घुस गया है। ऐसे में छत पर खाना बनाना पड़ रहा है। सरकार की तरफ से राशन और दवाइयों को लेकर भी कोई मदद नहीं दी जा रही है। पानी का लेवल भी कम नहीं हो रहा है। पूरा परिवार परेशान है।

छह दिन हो गए, ऑफिस नहीं गए

पुनीत भार्गव (40) कहते हैं- पिछले छह दिनों से उनका परिवार घर में कैद है। ऐसे हालात तो कर्फ्यू लगने पर भी नहीं होते। मैं सरकारी कर्मचारी हूं। 6 दिनों से ऑफिस से छुट्टी ले रखी है। मेरी मां बीमार हैं। उनके लिए दवाइयां भी लानी मुश्किल हो रही है। पानी भरा होने से घर में बदबू आने लगी है। सरकार की तरफ से भी पानी निकासी के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे।
राशन खत्म हो गया वीनू माथुर (40) कहती हैं- मेरे पति प्राइवेट जॉब करते हैं। एक हफ्ते से ड्यूटी पर नहीं जा पा रहे हैं। दो दिन पहले तेज बारिश से पूरे घर में पानी भर गया था। किचन में मछलियां तैर रही थीं। घर में राशन खत्म हो गया था। मेरा बेटा ही घुटनों तक पानी में से होकर दूध और खाने का सामान लेकर आया था। बार-बार गंदे पानी में जाने के कारण उसकी तबीयत भी खराब हो गई है। हम एक हफ्ते से घर में कैद हैं। सरकार को जरूरत का सामान उपलब्ध कराना चाहिए।

तालाब का पानी घरों में आ गया

शक्तिनगर के गली नंबर 2 में रहने वाले भीम सिंह राठौड़ (85) कहते हैं- घर के पास तालाब है। बारिश के बाद तालाब का पानी कॉलोनी में आ गया है। कॉलोनी में कई लोगों की तबीयत बिगड़ गई है। इसी तरह पानी भरा रहा तो गंभीर बीमारियां फैलेंगी।

बढ़ती जा रही हैं अजमेर की परेशानियां

पाल में हो गया रिसाव : अजमेर शहर की फायसागर झील की पाल की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई। 7 सितम्बर की रात वहां से पानी का रिसाव शुरू हो गया। इसकी सूचना मिलने पर देर रात टीमें पहुंचीं और राहत कार्य शुरू किया।
हॉस्पिटल और बिजली निगम ऑफिस में पानी भरा : शहर के सबसे बड़े जेएलएन हॉस्पिटल के बाहर पानी भर गया। बारिश के दौरान तो पानी परिसर के अंदर भी आ गया था। इधर हाथी भाटा में स्थित डिस्कॉम ऑफिस में 10 सितंबर को पानी भर गया था। इसके बाद मिट्टी के कट्टे गेट के बाहर रखकर पानी को रोकने का प्रयास किया गया था।

पिछले 6 दिनों से कई कॉलोनियों में लाइट नहीं : 50 से ज्यादा कॉलोनियों में पानी भरा है। ब्रह्मपुरी, शिवपुरी, मित्तल हॉस्पिटल के आस-पास की कॉलोनी में 5-6 दिन से बिजली सप्लाई बंद है। अब पानी का स्तर कम होने पर कुछ कॉलोनियों में बिजली सप्लाई बहाल होने लगी है।

बैरिकेड्‌स लगाकर कई रास्ते बंद किए : शहर की कई मुख्य सड़कों पर पानी भरा हुआ है। कई जगह जलभराव के कारण सीवरेज मेनहॉल के ढक्कन क्षतिग्रस्त हो गए हैं। इन जगहों पर कोई हादसा न हो, इसके बचाव के लिए पुलिस ने इन ढक्कनों पर बल्लियां लगाई हैं। अंधेरे में नजर आने वाले पीले रंग के रेडियम टेप भी लगाए जा रहे हैं। कई जगह बैरिकेड्स लगाकर रास्ते बंद करने पड़े। आगरा गेट चौराहा, फ्वारा सर्किल, बजरंग गढ़ चौराहा, सूचना केंद्र चौराहा पर तो अस्थायी चौकियां बनाकर पुलिसकर्मी तैनात किए हैं।

बारिश से बाढ़ के हालात बनने के पांच कारण

  1. आनासागर झील में सेवन वंडर्स और पाथ-वे बनाने से भराव क्षमता कम हुई रिटायर्ड नगर निगम आयुक्त नारायण लाल मीणा का कहना है कि अजमेर शहर को स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में शामिल किया गया था। आनासागर झील में सेवन वंडर्स और झील के चारों तरफ पाथ-वे का निर्माण करवाया गया था। इसके अलावा लेक व्यू पार्क भी बनाया।
  2. नाले और नालियों का लेवल ठीक नहीं शहर में पानी की निकासी के लिए बनाए गए नाले और नालियों का लेवल ठीक नहीं है। एक समान लेवल नहीं होने के कारण पानी तेज बहाव से नालों से निकलने के बजाए गलियों में आने लग जाता है। अजमेर दक्षिण के मदारपुरा से आम का तालाब होते हुए गुलाबबाड़ी और धोलाभाटा में जाने वाले नाले के आगे निकासी नहीं है। अलवर गेट, नगरा, सुनहरी कॉलोनी में नालों का ढलान सही तरीके से नहीं बने हैं।
  3. नालों की छोटी साइज ब्रह्मपुरी कॉलोनी, शिवपुरी, हाथी भाटा, तोप धड़ा, खानपुरा, अलवर गेट, लोहार बस्ती में से निकलने वाले नाले की गहराई और चौड़ाई कम है। इसे बारिश के बाद पानी नालों से ओवरफ्लो होकर कॉलोनियों में घुस रहा है। नगर निगम अब इन नालों की गहराई 8 फीट तक बढ़ाने पर विचार कर रहा है।
  4. अतिक्रमण नाले-नालियों पर अतिक्रमण की भरमार है। अधिकतर घरों और रोड की साइज बराबर है। ऐसे में कॉलोनी में पानी आते ही घरों में घुसने लगता है। नालों पर कई जगहों पर लोगों ने अतिक्रमण कर रखे हैं।
  5. नहीं होती सफाई नाले-नालियों की सफाई प्रॉपर तरीके से नहीं होती। वे कचरे व गंदगी से अटी पड़ी रहती हैं। कई जगहों पर सीवरेज लाइन भी ब्लॉक है। इनका निर्माण कार्य चल रहा था। बारिश आते ही निर्माण कार्य भी रुक गए। शहर के नालों की सफाई में सालाना करीब 2 करोड़ रुपए खर्च होते हैं। सबसे बड़ा नाला एस्केप चैनल है। इसके अलावा 80 नालों की सफाई जेसीबी से की जाती है और करीब डेढ़ सौ नालों की सफाई कर्मचारी मैनुअल करते हैं।

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