सूबे के नेताजी अब तबादलों में अपनी मनमर्जी नहीं कर पायेंगे। काफ़ी हद तक प्रदेश में ट्रांसफर से ‘सियासत’ की विदाई अगले महीने तक हो जाएगी। दरअसल भजनलाल सरकार सूबे में नई तबादला नीति की लोकसभा चुनाव के आचार संहिता हटने के बाद 4 जून से लागू किए जाने की तैयारी कर रही है।
इस संबंध में सचिवालय में एक अहम बैठक भी आयोजित की जा चुकी है। बैठक में प्रशासनिक सुधार विभाग, कार्मिक विभाग, शिक्षा विभाग, मेडिकल विभाग समिति अन्य विभागों के अधिकारी मौजूद थे. इसका मसौदा प्रशासनिक सुधार विभाग की ओर से तैयार किया गया है। इस मसौदे को अंतिम रूप देकर कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के लिए रखा जाएगा।
आचार संहिता हटते ही हो सकती है घोषणा

जानकारी के अनुसार कैबिनेट की बैठक में मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा. लोकसभा चुनाव के परिणाम 4 जून को आएंगे. इसके बाद आचार संहिता हट जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि आचार संहिता हटने के बाद आयोजित होने वाली कैबिनेट की बैठक में यह प्रस्ताव रखा जा सकता है. प्रस्तावित नई नीति के मसौदे में’ मंत्री-विधायकों की मर्जी से होने वाले तबादलों की परिपाटी बदलने पर जोर दिया गया है।
लंबे समय से चली आ रही मांग
गौरतलब है कि प्रदेश में तबादला नीति बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. प्रशासनिक सुधार विभाग ने पूर्व में ही तबादला नीति के दिशा निर्देश तैयार कर सभी विभागों को भेजे थे. एक माह के भीतर दिशा निर्देशों को शामिल कर अपनी विभागीय आवश्यकताओं के अनुरूप रिपोर्ट तैयार कर भिजवाने को कहा था। वही नई तबादला नीति लागू होने के बाद जनप्रतिनिधियों के डिजाइन सिस्टम पर लगाम लग जाएगी। नई तबादला नीति का जो मसूदा तैयार किया जा रहा है. उसमें सभी विभागों को ए और बी श्रेणी में बांटा गया है. जिन विभागों में 2000 से अधिक कर्मचारी हैं. उन विभागों को इस श्रेणी में रखा गया है. जिन विभागों में 2000 से कम कार्मिक हैं. उन्हें बी श्रेणी में रखा गया है. ए श्रेणी के विभागों को 3 साल से पहले नहीं बदला जाएगा. प्रस्तावित नहीं पॉलिसी में प्रावधान रखा जा सकता है कि यह पॉलिसी लागू होने के बाद प्रदेश में 3 साल से पहले तबादला नहीं होगा।
