राजस्थान में टीबी मरीज दवाओं का स्टॉक खत्म होने से संकट में आ गए हैं. ऐसे तो सरकारी कार्यालयों में लापरवाही के अनेक किस्से सुनने को मिलते रहते हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से प्रदेश के टीबी के मरीजों का जीवन संकट में है. सवाल है कि लापरवाही का जिम्मेदौर कौन है?
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पिछले एक महीने से टीबी की दवा की आपूर्ति नहीं की गई है. ऐसे में दवा के लिए अस्पताल आ रहे मरीजों को बिना दवाई लिए बैरंग वापस लौटना पड़ रहा है. स्वास्थ्य महकमे की लापरवाही उत्पन्न संकट से अब टीबी मरीज हलकान हैं.
सीएमएसएस के माध्यम से टीबी की दवाई खरीद की जाती है
गौरतलब है स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सीएमएसएस के माध्यम से टीबी की दवाई खरीद की जाती है, इसके बाद इन दवाइयों को देश भर के सरकारी अस्पतालों में भेजा जाता है. टीबी रोग के लिए सभी सरकारी अस्पतालों में एक अलग यूनिट बनी हुई है, जो कि प्रदेश लेवल तक डायरेक्ट चेन सिस्टम के तहत कोआर्डिनेशन में रहती है.
डायरेक्ट चेन सिस्टम प्रणाली के तहत अस्पतालों में होता है दवा वितरण
डायरेक्ट चेन सिस्टम प्रणाली के तहत सरकारी अस्पतालों में दवा वितरण होता है. पिछले दो माह से प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में टीबी की इस दवा की सप्लाई नहीं हो रही है. हालत यह है कि सरकारी अस्पतालों के स्टॉक में अब टीबी की दवाइयां उपलब्ध नहीं है, जिससे टीबी मरीज हलकान हैं.
अकेले डीडवाना में पंजीकृत हैं 1193 से ज्यादा टीबी मरीज
जानकारी के मुताबिक डीडवाना और नागौर जिले में सरकारी रिकॉर्ड के अनुसार 1193 से ज्यादा मरीज पंजीकृत है, जिन्हें लगातार 6 माह से 18 माह तक उपचार और दवाइयां दी जानी थी. टीबी रोग उन्मूलन के तहत सरकारी अस्पतालों में इन मरीजों को दवा की डोज देने के साथ ही निरंतर मॉनिटरिंग की जाती है.
टीबी रोगियों की दवा बीच में बंद नहीं करना है खतरनाक
एक्सपर्ट के मुताबिक टीबी रोग इतनी खतरनाक बीमारी है कि इसमें बीच में दवा को बंद नहीं किया जा सकता. विभिन्न कैटेगरीज में 6 से 18 माह तक चलने वाले दवा को मरीज के वजन के हिसाब से दी जाती है, लेकिन अगर दवा में अंतराल हो जाए तो पर मरीज में ड्रग रेसिस्टेंट टीबी भी डेवलप हो सकती है, जो कि बेहद खतरनाक हो सकता है.प्रदेश में जनवरी माह से शुरू हुई है टीबी दवाओं की किल्लत
उल्लेखनीय है राजस्थान के सरकारी अस्पतालों में साल 2024 के जनवरी महीने से ही टीबी दवाओं की किल्लत शुरू हो गई है. कुछ समय तक तो अस्पतालों में जैसे तैसे काम चलता रहा, लेकिन पिछले एक माह से दवा बिल्कुल खत्म हो चुकी है, जिससे टीबी मरीजों का जीवन संकट में आ चुका है
