राजकीय एसआरजी चिकित्सालय में इन दिनों मरीजों की खासी भीड़ नजर आ रही। सुबह से दोपहर बाद तक आउटडोर में मरीजों की कतारें लगी रही। इन दिनों सामान्य मौसमी बीमारियों के मरीज बढ़ रहे है। मौसम में बदलाव आने के साथ वायरल, बुखार के मरीज अधिक आ रहे है। जिला अस्पताल में बुधवार को करीब 2हजार से मरीज ओपीडी में उपचार परामर्श के लिए पहुंचे। इसके अलावा बच्चों ओर बड़ों में गलसुआ रोग भी पैर पसार रहा है। पिछले एक सप्ताह से प्रदेशभर में गलसुआ के कई मरीज आ चुके हैं। झालावाड़ शहर में 2-3 मरीज प्रतिदिन आ रहे हैं। इसको देखते हुए चिकित्सा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी जिलों में सचेत रहने के निर्देश दिए है।
मम्प्स के संक्रमण से बचाव की जरूरत-चिकित्सों का कहना है कि गलसुआ (मम्प्स) एक संक्रामक बीमारी है। सामान्य बोल चाल में इसे गलसुआ रोग कहा जाता है। यह पैरामिक्सो नामक वायरस के कारण होता है। यह वायरस नाक के स्राव और सलाइवा के माध्यम से फैलता है। असल में हवा में थूंक के कण छींक, नाक और गले से निकलने वाले संक्रामक एयरड्रोपलेट्स की वजह से एक से दूसरे व्यक्ति में इंफेक्शन होने से फैलता है। एहतियात के तौर पर मास्क लगाने, हाथों को सेनेटाइज करन, खांसते, छींकते समय मुंह पर रूमाल रखने ओर गुनगुना पानी पीने की सलाह दी जा रही है।
प्रचार-प्रसार के दिए निर्देश-अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग राजस्थान सरकार शुभ्रा सिंह ने एक आदेश जारी किया है। जिसमें बताया कि विगत माह में प्रदेश में मम्प्स गलसुआ रोगी पाए जा रहे ह, जो विगत वर्षो की तुलना में अधिक है। यह रोग अधिकांशत: बच्चों में होता है। यह एक वायरस संक्रमण रोग है जो संक्रमित रोगी के खांसने, छींकने या लार के सीधे संम्पर्क में आने से फैलता हैं। सभी चिकित्सा संस्थान को इसके प्रचार-प्रसार करने के निर्देश जारी किए।ये है लक्षण- -गलसुआ के लक्षण मरीज के संक्रमित होने के बाद आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों के बीच दिखाई देते हैं।- गलसुआ के वायरस से संक्रमित कुछ लोगों में या तो कोई भी लक्षण महसूस नहीं हो पाता या फिर बहुत ही हल्के लक्षण पैदा होते हैं।-चबाने और निगलने में कठिनाई, चेहरे के एक तरफ या दोनों तरफ की लार ग्रंथियों में सूजन, बुखारए थकान और कमजोरी, भूख न लगना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द होना।- गलसुआ में सबसे मुख्य लक्षण लार ग्रंथियों में सूजन जिससे गाल फूलने लगते हैं।
सामान्यतया दवा लेने से 7-10 दिन में ठीक हो जाता मौसम में बदलाव से आ रहे-मौसम में बदलाव के चलते गलसुआ के मरीज अन्य जिलों में अधिक आ रहे है। अपने यहां 2-3 मरीज आ रहे हैं।ये सामान्यतया दवा लेने से 7-10 दिन में ठीक हो जाता है, कुछ मामलों में 1-2 सप्ताह भी लग जाते हैं। लेकिन एहतियात जरूरी है। घर में किसी को गलसुआ हुआ है तो उसके संक्रमण में नहीं आए। वैसे ये छोटे बच्चों में ज्यादा होता है। इसमें कान के नीचले हिस्से में सुजन आती हैधीरे-धीरे दोनों तरफ सुजन व बुखार आ जाता है। इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। इलाज लेने पर एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं।
डॉ.अरूण पटेल नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ, एसआरजी,झालावाड़।स्कूलों में कर रहे जागरूक-निदेशालय से प्राप्त निर्देशानुसार यदि किसी बच्चे या व्यक्ति में लक्षण पाए जाते है तो उसे तुरन्त चिकित्सक से परामर्श लेकर घर पर ही रहने की सलाह दी जा रही है। साथ ही जिले के विद्यालयों में भी जिला शिक्षा अधिकारी से वार्ता कर मम्प्स एवं अन्य मौसमी बीमारियों के बचाव व नियंत्रण के संदेश विद्यालयों में प्रार्थना सभा में प्रसारित करवाने के लिए कहा है। ताकि जिले में यह संक्रमण रोग व मौसमी बीमारीयां पैर नहीं पसारें।डॉ.साजिद खान, सीएमएचओ,झालावाड़।
