DNR News बीकानेर:-इस बार होलिका दहन आज रात सवा 11 बजे से सवा 12 बजे के बीच होगा। रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश “प्रेम” शर्मा ने बताया कि बार पूर्णिमा पर प्रदोष काल नही है। ऐसे में होलिका दहन मुहूर्त एक दिन पूर्व यानी 24 मार्च 2024 वार रविवार चतुर्दशी को होगा।
यह शास्त्र सम्मत है की होलिका दहन निशीत काल और उसके बाद नहीं किया जाता है। तथा प्रतिपदा तिथि में भी नहीं किया जाता है एवं चतुर्दशी में भी नहीं किया जाए और भद्रा को तो टाल देना ही उचित होगा यदि किसी प्रकार भद्रा को नहीं टाला जाए तो भद्रा के मुख को छोड़कर प्रदोष बेला में होलीका का दहन करना चाहिए परंतु प्रदोष बेला में भद्रा का मुख पड़ता हो तो प्रदोष काल की बेला को छोड़ कर किसी शुभ समय में होलिका दहन करना होता है।
उन्होंने बताया कि होली का दहन के मुहूर्त का समय रात्रि 11:14pm से रात्रि 12:15am तक रहेगा। इसी समय के दौरान होलिका दहन किया जाएगा ऐसा शास्त्रों के अनुसार है।
क्योंकि सुबह 9:54 से रात्रि को 11:13 तक भद्रा समाप्त होगी उसके पश्चात ही होलिका दहन हो सकता है और रात्रि 12:15 से पूर्व करना होगा क्योंकि रात्रि 12:17 के बाद निशीत काल प्रारंभ हो जाएगा। इस काल के दौरान होलिका का मुहूर्त वर्जित माना गया है। कभी भी होलिका दहन निशीतकाल के बाद नहीं होती है।
शास्त्रों में जब भी मुहूर्त देखा जाता है तो चौघड़िया का ध्यान नहीं रखा जाता है। होलिका दहन का मतलब है बुराई को जलाना और अच्छाई को साथ देना। पूजा करने के लिए गाय के गोबर से होलिका और प्रहलाद की प्रतिमा बनाएं। वहीं पूजा की सामग्री के लिए रोली, फूल, फूलों की माला, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी,.मूंग, बताशे, गुलाल नारियल, 5 से 7 तरह के अनाज और एक लोटे में पानी रख लें।
इसके बाद इन सभी पूजन सामग्री के साथ पूरे विधि-विधान से पूजा करें। मिठाइयां और फल चढ़ाएं।
होलिका की पूजा के साथ ही भगवान नरसिंह की भी विधि-विधान से पूजा करें और फिर होलिका के चारों ओर सात बार परिक्रमा करें।
